Sunday, September 1, 2019

सफलता क्या है?

मुझे लगता है आज के समय में किसी भी विषय की पढाई की जाये सब को सरकारी नौकरी मिलना संभव नहीं लगता हैं, तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि बच्चों को शिक्षा से सम्बंधित मार्गदर्शन कैसे दिया जाए. 
क्या यही अपेक्षा की जाए की वे अच्छी शिक्षा हासिल करके किसी सरकारी नौकरी में चले जाये तभी उनका जीवन सफल होगा, उनके सामने कुछ अन्य विकल्प भी रखे जाए जैसे प्रायवेट सेक्टर में नौकरी या अपना स्वयं का बिज़नेस. 

अक्सर मैंने सुना/देख़ा  है कि लोग  सरकारी नौकरी के पीछे इतने दीवाने होते है कि कहते है "एक बार सरकार में कैसी  भी नौकरी मिल जाए बस" फिर तो जीवन आराम से काट जायेगा. परन्तु हमें आज अपनी भावी पीढ़ी को गैर सरकारी क्षेत्र में सफलता के लिए भी मार्गदर्शन देना चाहिए।

मै कुछ लोगो के बारे में आपको बताना चाहता हूँ जिनको मै व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ, आप पढ़िए और फिर आप ही बताईये कि क्या आप इन्हे सफल मानते है,  या नहीं?

१. Director Operations ( कार्य निदेशक ) :
मुलताई तहसील के १ छोटे से गाँव से उसने अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की, परिवार की स्तिथि सामान्य ही थी, बड़े भाई म.प्र.वि.विभाग में थे तो उसने भी भोपाल से CPET (प्लास्टिक इंजीनियरिंग) में प्रवेश लिया, शायद उस समय म.प्र. में PET के माध्यम से प्रवेश मिलते थे. 1996 -97 अपनी पढाई पूरी करने के बाद सरकारी नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षा देने लगा, परन्तु सफलता नहीं मिली और वह इंदौर में किसी प्राइवेट कम्पनी नौकरी करने लगा, वह कंपनी मशीनरी बनती थी. पूरी लगन से वह काम सीखने लगा, लगभग ५ वर्ष होगये थे उसे वहाँ काम करते हुए. 
उसकी कंपनी को १० मशीन सप्लाई और स्थापना (supply & Erection) का आर्डर एक विदेशी ग्राहक से मिला और कंपनी से उसे भेज दिया, उसने अपना काम बहुत अच्छी तरह से किया तो उस ग्राहक ने बहुत अच्छी वेतन पर उसे अपनी कंपनी का उत्पादन एवं मेंटेनेन्स प्रमुख बना दिया। उसने वहाँ भी बहुत मन लगा कर काम करके उस कंपनी को सफलता की उचाईयो पर ले गया और अगले 10 वर्षो में उसने 3  नई फैक्ट्रियां लगा दी. स्वयं के लिए भी बहूत पैसा जमा किया और गांव में कुछ खेत ख़रीदे, अपने लिए और भाई के लिए भी नये घर लिए. 

फिर १ दिन उसे अपना देश याद आने लगा और वह वापिस भारत आगया और आज वह भारत में एक प्रमुख बॉटलिंग प्लांट में director operations है. 

२. CFO  (प्रमुख वित्तीय अधिकारी) :
आज वह भारत की एक जानीमानी आईटी कंपनी में CFO हैं, परन्तु आज से 22 साल पहले जब एक छोटे से सरकारी कॉलेज में पढ़ रहा था तो किसने सोचा होगा कि वह एक दिन इतनी बड़ी सफलता हासिल कर लेगा. 
अत्यंत गरीब परिस्तिथि में १ छोटे से गाव के स्कूल से अपनी शिक्षा हासिल करने के बाद उसने १ छोटी सी नौकरी कर ली, सरकारी नौकरी की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी और फ़ीस भरने के भी पैसे नहीं थे उसके पास, और तब तो नौकरी में आरक्षण के बारे में भी पता नहीं था उसे.  मेहनत और लगन से काम करते हुए उसने अगले १० सालो में ३ अलग अलग कंपनियों में काम करते हुए अपने काम में महारत हासिल कर ली.
इस बीच उसने दिल्ली विश्वविद्यालय से MBA किया और विदेश में अवसर ढूंढ़ने लगा, १ दिन उसे सफलता मिली कर वह अच्छे वेतनपर विदेश चला गया, कुछ वर्षो तक वहाँ रहकर उसने अपनी योग्यता को निखारा और लगातार प्रगति करता रहा, कुछ देश बदले और और १ दिन फाइनेंस कंट्रोलर के पद पर पहुच गया. घर की आर्थिक स्थिति में सुधार किया, विश्व के कुछ अन्य देशो में रह कर अपनी सेवाएं देकर लगभग  १० वर्षो बाद भारत वापस लौट आया और अब वह समाज सुधार  और पर्यावरण संरक्षण पर अपना समय देता है. 

३. R & D, Computer Software
अपने गांव से प्राथमिक शिक्षा और बैतूल से हाईस्कूल की पढाई करके उसने भोपाल के बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइन्स में डिग्री हासिल की और बैंगलोर की किसी  कंपनी से अपने जीवन की शुरुआत की, पर वो वहां रुका नहीं, अपनी पढाई को आगे बढाते हुए उसने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की कुछ और भाषाएँ (languages) सीखी।  
आपनई योग्यता को बढ़ाते हुए उसने TCS, HCL और NOKIA जैसी कंपनियों में काम किया, उसे पूरी उम्मीद थी कि इक दिन उसकी मेहनत रंग लाएगी और वह कुछ बड़ा कर दिखायेगा।  सही अवसर आया और उसने बिना देर किये IBM में नौकरी ज्वाइन कर ली, आज वह सेनफ्रांसिस्को अमेरिका में हेड ऑफ़ आर & डी है.

ये तो केवल ३ उदहारण है, कितने ही ऐसे लोग है जिन्हे आप भी जानते होंगे, मै आप सबसे निवेदन करता हूँ कि आप भी ऐसे उदहारण प्रस्तुत करें. इस तरह से हम बच्चों को खुले तौर पर सोचने का मौका देंगे.
धन्यवाद 


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